Hindi Poetry for Mother | hindi kavita maa par
Hindi Poetry for Mother (hindi kavita maa par)
(1).Hindi Poetry for Mother : बहुत याद आता है मां ।
जब भी होती थी मैं परेशान
रात रात भर जाग कर
तुम्हारा यह कहना कि
कुछ नहीं…. सब ठीक हो जाएगा
याद आता है…. मेरे सफल होने पर
तेरा दौड़ कर खुशी से गले लगाना
याद आता है…. मां तेरी शिक्षक बनकर
नई-नई बातें सिखाना
अपना अनोखा ज्ञान देना
याद आता है मां
कभी दोस्त बनकर
हंसी मजाक कर
मेरी खामोशी को समझ लेना
याद आता है मां
कभी गुस्से से डांट कर चुपके से पुकारना
फिर सिर पर अपना
स्नेह भरा हाथ फेरना
याद आता है मां
बहुत अकेली हूं
दुनिया की भीड़ में
फिर से अपनी ममता का साया दे दो मां
तुम्हारा स्नेह भरा प्रेम
बहुत याद आता है मां
(2).Hindi Poetry for Mother : चंदा बेटे
मां से एक बच्चे ने पूछाँ
चांद में ये धब्बा कैसा है
माँ यह बोली चंदा बेटे
जिसको तुम धब्बा कहते हो वह तो एक पागल बुढ़िया है
बच्चे इतने मासूम आंखों से कुछ गम हो तक मां को बड़ी हैरत से देखा
और यह पूछा
मां मैं जब चंदा बेटा हूं तो मुझ में भी एक पागल बुढ़िया होगी
माँ ने उसको भेंच लिया
उसके लब चूमे
गर्दन चूमी माथा चूमा
और यह बोली हा तुझेमें भी एक बुढ़िया है
(3).Hindi Poetry for Mother : मेरे बच्चे यह कहते हैं ।
मेरे बच्चे यह कहते हैं
तुम आती हो तो घर में रौनके खुशुबुंए आती है
ये जन्नत जो मिली है सब उनही कदमों की बरकत है
हमारे वास्ते रखना तुम्हारा एक साआदत है
बड़ी मुश्किल मैं दामन छुड़ा कर लौट आई हूं
वह आशु और वह गमगीन चेहरे याद आते हैं
अभी ना जाओं रुक जाओ यह जुमले सताते हैं
मैं भी सारी कहानी आने वालों को सुनाती हूं
मेरे लहजे से लिपटा झूठ सब पहचान जाते हैं
बहुत तहजींब वाले लोग हैं सब मान जाते है
(4).Poems in Hindi for Mother : तुझसे है पूरा संसार मेरा ।
मां तू एक पेड़ है
तेरी छांव मे मै रहूं उम्र भर
तेरी डाली से निकला हूं मैं
तुझ से जिंदा हूं मैं
कभी सुख जाऊं पत्तों सा
फिर भी टूट कर तेरी गोद में रहू
धूप हो बारिश तुझसे लिपट जाऊं मैं
तुझसे शुरू हु तुझ पर खत्म हो जाऊं मैं
तेरे आंचल सा फैला है विस्तार तेरा
मुझमें तू है तुझसे है पूरा संसार मेरा
(5).Hindi Poems for Mother : मां तू एक नदी है ।
मां तू एक नदी है
तेरा एक कतरा हु मैं
तुझ से बह रहा हूं मैं
तुझ से कह रहा हूं मैं
की ऑक्सीजन हो तुम मेरी
पिता हाइड्रोजन है
तेरी भाप बन जाऊं मैं
मिटने के बाद
कभी अलग ना होऊ
तुझसे सिमटने के बाद
मां घर का हिस्सा है प्यार तेरा
मुझसे तू तुझसे है पूरा संसार मेरा
(6).Hindi Poetry for Mother : मेरी आंखों का तारा ।
मेरी आंखों का तारा ही, मुझे आंखें दिखाता है
जिसे हर एक खुशी दी, वह हर गम से मिलाता है
जुबा से कुछ कहूं किससे कहूं मैं हूं
सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है
सुला कर सोती थी जिसको, वह अब सभर जगाता है
सुनाई लोरियां जिसको, वह अब ताने सुनाता है
सिखाने में क्या कमी रही मैं यह सोंचू,
जिसे गिनती सिखाई गलतियां मेरी गिनाता है ।
(7).Hindi Poems for Mother : अम्मी तुम्हारे बाद
अम्मी तुम्हारे बाद
हर बार हम
एक दूसरे से
आखिरी बार मिलते हैं
जिंदगी बे यकीनी का
साया बनकर रह गई है
मौत हमारे नंबर
लगा चुकी है
हम तुमसे
मिलने के खातिर
अपनी अपनी बारी का
इंतजार करते हैं
जमीन पर
अपने दिन शुमार करते हैं
हमें तुम से खासिद किया गया
हमारे खून के ग्रुप
और दिमाग की बनावट में
तुम्हें भर दिया गया
और दिल की जगह तुम्हें रख दिया गया
फिर अचानक तुम हमसे जुदा हो गई
और हमें मुबताला कर दिया गया
आंसुओं के कर-ओ-बाला मे
और हम तुमसे मिलने के लिए
मौत से प्यार करने लगे
और इंतजार करने लगे
कि जब हम जिस्म से आजाद होंगे
तो तुम्हारी नर्म और दिलगिर मोहब्बत की
बाहों में तुम्हें बोसा दे सके
तुम्हारे सीने से लग कर
हम और रो सके
तुम्हारी खूबसूरत आंखों में
खुद को देख सके
तुम्हारे साथ हमेशा के लिए जी सकें
(8).Hindi Poetry for Mother :मां की परिभाषा
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है
बस यही मां की परिभाषा है
हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर है
हम दुनिया के हैं अंग वह उसकी अनुक्रमणिका है
हम पत्थर की है संघ वह कंचन की क्रनिका है
हम बकवास है वह भाषण है हम सरकार हैं वह शासन हैं
हम लव कुश हैं वह सीता है हम छंद हैं वह कविता है
हम राजा है वह राज हैं हम मस्तक हैं वह ताज है
मैं सरस्वती का उग्दम है रणचंडी और नासा है
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है
बस यही मां की परिभाषा है
(9).Hindi Poetry for Mother : मां ने सिखाया था
की लगा बचपन में जो अक्सर अंधेरा ही मुकद्दर है
मगर मां हौसला देकर न्यू बोली तुमको क्या डर है
मैं अपनापन ही अक्षर ढूंढता रहता हूं रिश्तो में
तेरी निश्चल सी ममता कहीं मिलती नहीं मां
गमों की भीड़ में जिसने हमें हंसना सिखाया था
वह जिसके दम से तूफानों ने अपना सिर झुकाया था
किसी भी जन्म के आगे कभी झुकना नहीं बेटे
सितम की उम्र छोटी है मुझे मां ने सिखाया था
भारी घर में तेरी आहट कहीं मिलती नहीं मां
तेरी हाथों की नरम आहट कहीं मिलती नहीं मां
मैं तन पर लादे फिरता दुशांबे रेशमी
लेकिन तेरी गोदी की गर्माहट कहीं मिलती नहीं मां
तैरती निश्छल सी बातें अब नहीं है मां
मुझे आशीष देने को अब तेरी बाहे नहीं है मां
मुझे ऊंचाइयों पर सारी दुनिया देखती है
पर तरक्की देखने को तेरी आंखें नहीं है बस अब माँ
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