Urdu shayari in Hindi | उर्दू शायरी हिंदी में
Urdu shayari in Hindi: शायरियां कुछ ऐसी बात कह देती है जो आम जवान मैं समझाना बड़ा मुश्किल है। कुछ शायरियां तू दिल की गहराई में समा जाती है। जिस तरह से हथियार ताकत हुनर एक चीज है जो समाज में इंकलाब या बदलाव का सबब बनती है उसी तरह शायरियां भी किसी समाजी तौर-तरीकों को समझ आती है।
इस आर्टिकल में हमने उर्दू शायरी हिंदी में Urdu shayari in Hindi आपके सामने प्रस्तुत की है। जय शायरियां अलग-अलग उर्दू शायरों द्वारा कही गई है इन्हें पढ़े और आनंद ले और भी दिल को छू जाने वाली शायरियां आपको इस ब्लॉग पर मिलेंगी उन्हें भी जरूर पढ़ें।
Urdu shayari in Hindi:
खफा जो इश्क में होते हैं,
वह खफा ही नहीं,
सितम ना हो मोहब्बत में,
कुछ मजा ही नहीं ||
हर एक बात पे कहते हो तुम कि “तू क्या है “
तुम ही कहो अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है,
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल जब आंख से ही ना टपका तो फिर लहू क्या है
मंजिल से आगे बढ़कर मंजिल तलाश कर मिल जाए तुझको दरिया तू समंदर तलाश कर हर शीशा टूट जाता है पत्थर की चोट से पत्थर भी टूट जाए वह शीशा तलाश कर
ना तू जमी के लिए है ना आसमा के लिए जहां है तेरे लिए तू नहीं जहां के लिए
आजमाना अपनी यारी को पतझड़ में मेरे दोस्त सावन में तोहर पत्ता हरा भरा नजर आता है
दर्द हो दिल में तो दवा दीजिए दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए
तेरे इश्क की इंतेहा चाहता हूं मेरी सादगी देख क्या चाहता हूं
सितारों से आगे जहां और भी है अभी इश्क में इम्तिहा और भी है
अब तो घबरा के यह कहती है कि मर जाएंगे मर के भी चैन ना आया तो किधर जाएंगे
खुद से ऊंचा जो सनम देखते हैं जिंदगी में रंग हजम देखते है न तुझ से गर्ज न तेरी सूरत से गर्ज हम तो मुसव्विर का कलम देखते हैं
कभी उनका नाम लेना कभी उनकी बात करना मेरा जौ़क उनकी चाहत मेरा शौक उनकी मरना
कौन आया यहां कोई ना आया होगा मेरा दरवाजा हवाओं ने हिलाया होगा
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो हमारा शहर तो बस यूं ही रास्ते में आया था
थोड़ा कुछ इस अदा से ताल्लुक उसने गालिब के सारी उम्र अपना कूरूर ढूंढते रहे
नशा पिला के गिराना तो सबको आता है मजा तो तब है कि गिरते को थाम ले साकी
दर्द मिल्लत-ए-क१ो दवा ना हुआ मैं अच्छा ना हुआ बुरा ना हुआ
कुछ इस तरह से जिंदगी को आसान कर लिया किसी से माफी ली तो किसी को माफ कर दिया
कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते
इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे कमाल के
जहां जला है जिस्म तू दिल भी जल गया होगा
अब कुड़ी देते हो राख जुस्तजू क्या है
ताउम्र बस एक यही सबक याद रखिए इश्क और इबादत में नियत साफ रखिए
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